Tuesday, May 8, 2012

लिव-इन से बर्बाद हो रहे हैं घर:

मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप से लोगों की शादियां टूट रही हैं। मेनटिनेंस बढ़ाने के लिए दायर की गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की। इस मामले में महिला ने अपने पति से वे सारी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है, जो वह अपनी लिव-इन पार्टनर और उसके तीनों बच्चों को दे रहे हैं। महिला के पति ने इसका विरोध किया है। जस्टिस पी.बी. मजूमदार और अनूप मोहता ने सुलेखा किलेदार (48) (बदला हुआ नाम) की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप लोगों की शादीशुदा जिंदगी को बर्बाद कर रहा है। इस याचिका में सुलेखा ने फैमिली कोर्ट के 2010 के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें मेनटिनेंस 2000 रुपये बढ़ाने का आदेश दिया गया था। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि उनके पति सुभाष (56) (बदला हुआ नाम) सेंट्रल रेलवे में मुख्य टिकट चेकर हैं और सोलापुर स्टेशन पर तैनात हैं। इस जोड़े की शादी 5 मई 1987 को हुई थी। शादी के बाद सुभाष उनके साथ बुरा बर्ताव करने लगे और बाद में उन्हें छोड़ दिया। मार्च 1988 में सुलेखा ने मुकदमा दायर किया। अगस्त 1989 में फैमिली कोर्ट ने सुभाष को आदेश दिया कि वह सुलेखा को घर लाए या उन्हें जीवन यापन करने के लिए 400 रुपये हर महीने दें। अक्टूबर 2000 में इसे बढ़ाकर 5 हजार कर दिया गया और नवंबर 2010 में 7 हजार रुपये।  अपनी पिटिशन में सुलेखा ने कहा है कि सुभाष पिछले 15 सालों से वैवाहिक जीवन जी रहे हैं और उनके तीन बच्चे हैं। उनकी लाइफ स्टाइल काफी बेहतर है और लग्ज़रीअस है। इसलिए इस तरह की लाइफ स्टाइल की हकदार वह भी हैं। इसके जवाब में सुभाष के वकील ने कहा, 'उन्होंने शादी नहीं की है। वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। यह अवैध संबंध है।' वकील ने यह भी स्वीकार किया कि सको अपने पार्टनर से तीन बच्चे हैं। जस्टिस मजूमदार ने कहा, 'आप तीन बच्चों के पिता हैं। जरा परिवार की दुर्दशा तो देखिए। आपके रवैये से आपका पूरा परिवार परेशान रहेगा।आपको 7-8 लोगों का पेट पालना है।' जस्टिस मजूमदार ने कहा कि आपसे उम्मीद की जाती है कि आप टिकट चेक करें न कि लिव-इन में रहें। सुलेखा के वकील ने कहा कि सुभाष ने मेनटिनेंस को लेकर फैमिली कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया है। इस पर जज ने कहा कि हम इम्पलॉयर से कहेंगे कि सुभाष की सैलरी में से काट लिया जाए। इसके जवाब में सुलेखा के वकील ने कोर्ट को बताया कि 88 हजार रुपये एरियर बाकी हैं। जज ने मामले को आगे के लिए टाल दिया और सुभाष से कहा कि आप वन टाइम सेटलमेंट प्रपोजल लेकर आएं।