Wednesday, June 25, 2008

राम कैलाश नापित

रात आती है चली जाती है, तू नहीं आती है पर तेरी याद बहुत आती है। जाने तो तू भी ये बात पर माने क्यों न। मुझे तुझे एक दूजे से है पयार पर तू ये जाने न.