Friday, September 25, 2009

छात्र - छात्राए अब नहीं ढ़क सकेगें चेहरा

गर्मी और धूप से बचने के लिये भी छात्र छात्रायें ही नहीं आज सभी लोग चेहरा ढंक चलने लगे हैं , लेकिन अब स्कूल के छा ा और छा ााओं के लिए ऐसा संभव नहीं होगा , योंेिक वारा ासी के महा मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अपने छा ा-छा ााओं पर इसकी पांबदी लगा दी हैं। इस नियम को देश के सभी स्कूल में लागू होना चाहिए। जिससे स्कूल और कॉलेज की छा ाा-छा ााओं के साथ हो रही छेडछाड़ की ाटनाए काम को जाएं अ सर स्कूल और कॉलेजों में बाहरी लड़के चेहरा ढ़कर आते हैं और लड़कियों के साथ ब ामजी करते हैं और वह चला जाता हैं किसी को इस ाटना के बार में जानकारी नहीं मिले पाती की किसने की यह बतमीजी। लड़के कॉलेज के हैं या बाहर के हैँ। इस प्रकार के चेहरे ढ़क कर किसी भी बड़ी बरदात को अजांम दिया जा सकता हैं। इस प्रकार के फैसले पहले भी आए हैं लेकिन किसी ने इन फैसलों का पालन नहीं किया। जब कि ऐसे फेसलों को स्कूल और कॉलेज में कड़ाई के साथ पालन करना चाहिए । जो लड़का या लड़की इन नियमों का पालन नहीं करती उसे उचित दंड दिया जाना चाहिए। छा ा और छा ााओं के दंड के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी इसके लिए जानकारी दे । मेरे विचार से यह नियम स्कूल और कॉलेज के साथ-साथ शहरों में लागू होना चाहिए जिससे चोरी ,छेड़छानी,लाटू की ाटनाओं में कमी आएगी। जिससे शहरों से लोग भी सुरक्षित रहेगे।

Monday, September 21, 2009

नवरा िा में मौज-मस्ती के साथ सुरक्षा भी

नवरा िा का पर्व कई मायनों में मह वर्पू ा है। दुनिया का सबसे ल बा चलने वाला यह नृ य महो सव अब गुजरात के बाहर भी अपनी पहचान बना चुका है। लोगों को इस पर्व का उतनी ही बेसब्री से इंतजार किया जाता है, जितनी की पुराने जमाने में औरतें अपने परदेश गए पति का किया करती थी। ब'चे बुढ़े सभी नवरा िा के माहौल में रंगे नजर आने लगे हैं। पर शायद जिनको इस यौहार की मह ाा का सबसे अधिक इंतजार होता हैं युवा वर्ग। यूं तो यह पर्व गुजरात का हैं लेकिन यहपर्व पूरे देश में मनाया जाता हैं। यूं तो गुजराती समाज काफी आधुनिक होता है, तथा युवा लड़कों एवं लड़कियों पर अंकुश कम ही लगाया जाता है, पर नवरा िा के आते आते तो बाकी की सारी वर्जनाएं भी भंग होने लग जाती है। आज कल क ाी भी आप को कॉ डम के खाली पैकट बिखरे हुए मिला जाएगें। नवरा िा के पर्व ख म होने के बाद डॉ टरों की लीनकों में गर्भपात कराने के लिए लड़कियों की भीड़ बढ़ जाती या यू भी कहा सकते हैं कि डॉ टरों की चांदी हो जाती हैं। टाइ स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आजकल इस सीजन में कॉ डम की बिक्री 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अब तो लड़कियां भी दवाई विके्रताओं की दुकान में जाकर कॉ डम खरीदने पर शर्माना छोड चुकी है, जो ठीक भी है। इस बात से यह सिद्धी होता हैं कि युवा वर्ग में अब जगरुक हो गया हैं । उसे से स संबंधित बीमारी एड्स से बचाने के तरीकों का इस्तेमाल करना आ गया हैं। उनका उद्देश्य भले ही अपने उ पाद की अधिकाधिक बिक्री करना हो पर इससे युवाओं में अपनी सुरक्षा को लेकर समझ तो बढ़ी ही है। सरकार की भी एड्स के प्रति युवाओं का जागरुक करने के लिए बहुत से योजनाएं बनाई हैं इस कार्य के लिए कई स्वयसेवीसंस्थाएं भी हैं जो जोगों को जागरुक करने का काम करती हैं । इन योजनाआं की जरुरत सब से यादा शहरों में होती हैं। इस लिए सरकार युवाओं के मोबइल में एसएमएस के द्वारा भी इस बीमारी से लडऩे के लिए प्रचार करती हैं। इससे सरकार ,आम जनता और दवाई क पनियों को भी फायदा होगा, जिससे देश से यह गंभीर बीमारी का भी जड़ से सफाया हो गाएगा।

Sunday, September 13, 2009

युवा पर भारी पुराने खिलड़ी!

भारतीय टीम की कल ाीलंका के खिलाफ इनती बुरी तरह से हार हुई हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह वहीं टीम इंडिया जो किसी देश को धूल चटा सकती हैं। हमारे टीम के हालफतामौल खिलाड़ी कहे जाने वाले युवराज सिंह और क तान धोनी ने सभी दर्शकों को निराशा किया तथा धोनी ने युवा टीम की वकालत करते हैं या हुआ इनकी युवा टीम को, या किया उनकी युवा टीम ने । अखिर काम आए उनके पुराने खिलाड़ी सचिन, राहुल । अगर ऐ दोनों ब े बाज नहीं होते तो टीम इंडिया 150 रन भी नहीं बना पती।